लेखनी प्रतियोगिता -16-Jun-2022महक

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महक तुझे देख महकूं मैं आज, जैसे खिले गुलाब। रूप मेरा हर रोज निखरे, चेहरे पर आए शबाब। जो तूने देखा प्यार से, मैं हो गई बेहाल। शर्म से थे लाल ...

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